सरकारी गोदाम में सड़ रहा अनाज: राशन कार्ड नहीं होने के कारण भूखे सोने पर मज़बूर है करोड़ों परिवार

बिहार के पश्चिमी चंपारण के पचकहर गांव की 35 वर्षीय मनीषा देवी को राशन कार्ड में संशोधन के लिए आवेदन दिए हुए इस महीने की 27 तारीख को पूरे दो वर्ष हो जायेंगे, उन्हें अपने राशन कार्ड का अब तक इंतज़ार है. मनीषा कहती हैं, “राशन कार्ड के लिए चक्कर लगा-लगा कर थक गयी, अब तक राशन कार्ड बन कर नहीं आया”.

समाज में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया और दुष्प्रचार: क़ानूनी प्रतिक्रिया और समस्या (भाग पांच)

लिंचिंग को लेकर सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दम, सरकार की मंशा पर ही बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या इन बदलावों से सरकार सच में लिंचिंग रोकना चाहती है या कुछ और?

समाज में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया और दुष्प्रचार: क़ानूनी प्रतिक्रिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (चौथा भाग)

लिंचिंग एक विशेष प्रकार की राजनीति से प्रभावित होती है, जिसका हल सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव लाकर नहीं किया जा सकता.

समाज में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया और फेक न्यूज़: क़ानूनी प्रतिक्रिया और प्रेस की स्वतंत्रता (तीसरा भाग)

सरकार को फेक न्यूज़ के तंत्र को रोकने के लिए अन्य प्रभावी उपायों पर ध्यान देना चाहिए, सोशल मीडिया में ऐसे बदलाव पत्रकारों को अधिक खतरे डाल सकते हैं.

समाज में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया और दुष्प्रचार: वास्तिविकता और क़ानूनी प्रतिक्रिया (दूसरा भाग)

लिंचिंग के संदर्भ में सरकार द्वारा किये जा रहे सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव को लेकर आम आदमी असहज दिख रहे हैं. उन्हें डर है कि ऐसे बदलावों से उनकी निजता प्रभावित होगी.

लिंचिंग, सोशल मीडिया, फेक न्यूज़: कानूनी प्रतिक्रिया (पहला भाग)

सोशल मीडिया के नियमों में किये जा रहे बदलावों में अस्पष्टता के कारण अभिव्यक्ति की आज़ादी से लेकर निजता तक तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.