समाज में बढ़ती हिंसा, सोशल मीडिया और दुष्प्रचार: क़ानूनी प्रतिक्रिया और समस्या (भाग पांच)
लिंचिंग को लेकर सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दम, सरकार की मंशा पर ही बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या इन बदलावों से सरकार सच में लिंचिंग रोकना चाहती है या कुछ और?
लिंचिंग को लेकर सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दम, सरकार की मंशा पर ही बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या इन बदलावों से सरकार सच में लिंचिंग रोकना चाहती है या कुछ और?
लिंचिंग एक विशेष प्रकार की राजनीति से प्रभावित होती है, जिसका हल सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव लाकर नहीं किया जा सकता.
सरकार को फेक न्यूज़ के तंत्र को रोकने के लिए अन्य प्रभावी उपायों पर ध्यान देना चाहिए, सोशल मीडिया में ऐसे बदलाव पत्रकारों को अधिक खतरे डाल सकते हैं.
लिंचिंग के संदर्भ में सरकार द्वारा किये जा रहे सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव को लेकर आम आदमी असहज दिख रहे हैं. उन्हें डर है कि ऐसे बदलावों से उनकी निजता प्रभावित होगी.
सोशल मीडिया के नियमों में किये जा रहे बदलावों में अस्पष्टता के कारण अभिव्यक्ति की आज़ादी से लेकर निजता तक तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.